रायपुर. दुनियाभर में कोरोनावायरस की दहशत के बीच छत्तीसगढ़ में इससे संक्रमित भले ही एक भी व्यक्ति नहीं है, लेकिन राज्य के बस्तर संभाग में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 16 हजार 599 लोग इस वक्त मलेरिया से पीड़ित हैं। मलेरिया बस्तर की बड़ी समस्या है। प्रशासन ने गांवस्तर पर समितियां गठित की हैं, जो शाम को सीटी बजाकर लोगों को मच्छरदानी लगाने के लिए सतर्क करती हैं। राज्य के मुख्य सचिव आरपी मंडल ने बुधवार को सुकमा में समीक्षा बैठक ली। उन्होंने कहा कि सभी मलेरिया से ग्रसित लोगों को संपूर्ण इलाज मिलना चाहिए।
यहां लोगों में लक्षणविहीन मलेरिया
छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक जंगलों वाले हिस्से बस्तर में लोगों का मलेरिया कुछ अलग है। डॉक्टर इसे असिम्पटोमेटिक मलेरिया कहते हैं। इसमें मरीज के शरीर में मलेरिया के लक्षण नहीं दिखते मगर उसे मलेरिया होता है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 15 जनवरी से 14 फरवरी तक जांच अभियान चलाया। दावा किया गया है कि करीब 2 लाख 86 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई। करीब 154 छात्रावासों, 500 आश्रमों, 76 पोटा केबिन स्कूलों और अर्धसैनिक बलों के 169 कैंपों में जांच की गई। इसमें खून की जांच के बाद मलेरिया पाए गए अधिकतर लक्षणविहीन लोग थे। उनमें बाहरी तौर पर बुखार या मलेरिया के अन्य लक्षण नहीं थे। लेकिन, शरीर में मलेरिया परजीवी पाए गए। इलाज नहीं मिलने पर यह शरीर में एनीमिया और कुपोषण को जन्म देता है।
मलेरिया से मौत
जनवरी के महीने में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दंतेवाड़ा गए थे। यहां उन्होने अपनी मलेरिया की जांच करवाई और लोगों से भी जागरूक रहने की अपील की। इस कार्यक्रम के ही दिन बीजापुर में मलेरिया से पीड़ित एक आदिवासी छात्र प्रमोद कुड़ियाम की मौत हो गई थी। प्रमोद 6वीं कक्षा का छात्र था। परिजनों ने तब आरोप लगाया कि उसके मामले में अफसरों ने लापरवाही की। सरकार ने 2024 तक बस्तर को मलेरिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस बीमारी से पिछले दो सालों में 30 लोगों की मौत हो चुकी है।
72 फीसदी मलेरिया के मामले यहीं
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 3 लाख 62 हजार मेडिकेटेड मच्छरदानी ग्रामीणों में बांटी गई है। लोगों को स्थानीय बोली में इसका इस्तेमाल समझाया गया। वीडियो दिखाए गए, रैली निकाली गई कई ग्राम सभाएं ली गई ताकि लोग मच्छरदानी लगाएं। लोगों में मलेरिया से बचने की दवाएं भी बांटी गईं। स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह ने बताया कि बस्तर में परजीवी सूचकांक सबसे ज्यादा है। प्रदेश में मलेरिया के मामलों में से 72 फीसदी बस्तर से आते हैं। जनवरी, जुलाई और नवंबर में मलेरिया ज्यादा होता है। अभियान का यह पहला चरण है। जुलाई और नवंबर में दूसरा और तीसरा चरण प्रारंभ किया जाएगा।